Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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मन्दिर है एक प्रतीक मात्र

 

मन्दिर है एक प्रतीक मात्र
आत्मा है राघव का जीवन
सच का अनुकरण बनायेगा
मानवता के पथ को रोशन

अब दशरथ-पुत्र न आएंगे
युग का नायक गढ़ना होगा
अब रोजगार, शिक्षा, सेहत
के लिए हमें लड़ना होगा

हैं राम न कोई देव अपितु
जग-जीवन के आदर्श रहे
जो सत्य खोज के लिए अनय
से, भीषण जय संघर्ष रहे

हैं राम अनुज के लिए राज को
तजकर जाने का प्रतीक
हैं राम निषाद राज गुह को
निज गले लगाने का प्रतीक

हैं राम दलित केवट को
निज समान बतलाने का प्रतीक
हैं राम बेर झूठे शबरी के
सुख से खाने का प्रतीक

हैं राम महल के भोग छोड़
जंगल हो जाने का प्रतीक
हैं राम कर्म पथ पर बाधाओं
से टकराने का प्रतीक

हैं राम महाजन रावण से
पैदल भिड़ जाने का प्रतीक
राक्षस दल में भी भक्त विभीषण
को अपनाने का प्रतीक

हैं राम समूची वसुधा पर
एकात्म पराक्रम का प्रतीक
निज कालखण्ड में खींच गए
जो मर्यादा की अमिट लीक

बस ‘जय श्री राम’ बोल कर ही
यूं नहीं मात्र दहना होगा ,
यदि राम राज्य हैं चाह रहे
तो राम सरिस तपना होगा…

खुद राम हमें बनना होगा!

– अनुराग ‘अतुल’


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