मेरे निश्छल हृदय को हाय दुनिया आजमाती है!
ये किस कीमत पे अपना भाव सच्चाई लगाती है?
मैं हँसता हूँ तो मेरे भाग्य का अपमान होता है,
अगर रोता हूँ तो करमों की चादर भीग जाती है।
....Anurag Atul
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मेरे निश्छल हृदय को हाय दुनिया आजमाती है!
ये किस कीमत पे अपना भाव सच्चाई लगाती है?
मैं हँसता हूँ तो मेरे भाग्य का अपमान होता है,
अगर रोता हूँ तो करमों की चादर भीग जाती है।
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