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पहला और अनिवार्य कार्य जो अविलंब होना चाहिए

 
Anurag Atul

पहला और अनिवार्य कार्य जो अविलंब होना चाहिए-
 एम्बुलेंस से अस्तपाल आये मरीज और उनके साथियों को वापस छोड़ने की व्यवस्था की जानी चाहिए। इस समय लोग वापस घर जाने के लिये पैदल भटक रहे हैं, जिसमें पुरुषों के साथ स्त्रियां और बच्चे भी हैं। कोरोना से बचाव करने के लिये अगर दूसरे कारणों से किसी की जान चली जाए तो उसके लिए इस कर्फ्यू का क्या अर्थ होगा? वहीं स्वास्थ्य कर्मियों को भी अस्पताल तक पहुंचने के लिये कोई साधन मुहैया नहीं हो रहा, यह चिंताजनक है।

 राशन और आर्थिक मदद के लिए जो सरकारी योजनाएं बनाई गईं हैं, उनका क्रियान्वयन जल्दी से जल्दी हो, नहीं तो इस गरीब देश में लोग भुखमरी से मर जाएंगे।

 लॉ एंड आर्डर व्यवस्था दुरुस्त करना इस समय की चुनौती है। जो लोग अनावश्यक घूम रहे हैं उन पर नियंत्रण होना चाहिए लेकिन ज़रूरी काम के लिए निकले व्यक्ति के साथ बदसलूकी की जाये यह असहनीय है।

 98% दुकाने बन्द दिख रही हैं इससे भीड़ एकत्रित होने के आसार और बढ़ रहे हैं। क्या हम मोहल्ले के जनरल स्टोर, सब्जी और मेडिकल स्टोर की दुकानें खोलने के  निर्देश दे सकते हैं।सामान्य दवा लेने के लिए भी आदमी को सरकारी अस्पताल के पास या मेन चौराहे जाना पड़ेगा तो हम कितना आइसोलेट हो सकते हैं?चीजों की सप्लाई कम होने से महंगाई भी बढ़ रही है।

 होना तो ये चाहिए कि सभी संदिग्ध लोगों की जाँच की सहज व्यवस्था स्थानीय स्तर पर होनी चाहिए पर मुझे नहीं लगता कि हमारी स्वास्थ्य व्यवस्थाएँ इतनी अच्छी है। जहाँ हर बीमारी में एक ही एंटीबायोटिक दी जाती हो, और कुल 40, 50 दवाओं से काम चलाया जा रहा हो, वहाँ इतनी गंभीर बीमारी से निपटने की कितनी प्रभावी व्यवस्था हो सकती है? जिला अस्पतालों में डॉक्टर वैसे भी कितने हैं, आपको पता ही है। उप्र के अनेक जिलों में तीन साल से खड़े ट्रामा सेंटर आज तक हम चालू नहीं कर पाये। आज ये चल रहे होते तो इस संकट में बहुत काम आते।

 नोवल कोरोना को रोकने के लिए भारत के पास पर्याप्त समय था फिर क्यों विदेशियों और प्रवासियों को हमने संक्रमण फैलाने के लिए अंदर घुस जाने दिया? क्यों हमने पहले से इसकी तैयारी नहीं की, इन सवालों पर बहस करने के लिए यह समय उपयुक्त नहीं है। लेकिन लॉकडाउन के समय में नागरिक सुविधाओं की स्थिति और योजनाओं की उपलब्धता पर हर सरकार की आलोचना होनी चाहिए। अगर हम अभी नहीं बोलेंगे तो तमाम लोग अन्य बीमारियों, भुखमरी और पैदल चलकर मर जायेंगे, बाद में इसकी चिंता करने से कुछ नहीं होगा। यह बहुत कठिन समय है, उचित, प्रभावी और त्वरित कदम की आवश्यकता है।
 अनुराग अतुल

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