Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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पूज्य अटल जी को पुण्यतिथि पर भावुक श्रद्धांजलि

 

सच्चाई यह है कि
केवल ऊँचाई ही काफ़ी नहीं होती,
सबसे अलग-थलग,
परिवेश से पृथक,
अपनों से कटा-बँटा,
शून्य में अकेला खड़ा होना,
पहाड़ की महानता नहीं, ,मजबूरी है.

ऊँचाई और गहराई में
आकाश-पाताल की दूरी है.
जो जितना ऊँचा,
उतना एकाकी होता है,
हर भार को स्वयं ढोता है,
चेहरे पर मुस्कानें चिपका,
मन ही मन रोता है.

-अटल बिहारी वाजपेयी


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