राम त्रेता के ऐसे मनुष्य हैं जो निरन्तर देव बनने के प्रयत्न करते रहे और द्वापर के कृष्ण ऐसे देव हैं जो निरन्तर मनुष्य बनने के प्रयत्न करते रहे।
कृष्ण की वाणी…और राम का कर्म !
हिन्दुस्तान के लोग अभी इसका समन्वय नहीं कर पाए हैं।
रास और गीता के कृष्ण एक ही हैं।
-राम मनोहर लोहिया
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