Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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फर्क सिर्फ इतना था -

 

 

उसने बन्दूक उठाई , मैंने कलम
उसने गोली चुनी , मैंने शब्द
उसने खून बहाया , मैंने आंसूं
उसने घर जलाये , मैंने दिल
उसने दीपक बुझाया , मैंने उसे जलाया
उसने लोगों को सुलाया , मैंने लोगों को जगाया
वो बदनाम हुआ , मेरा नाम हुआ
वो कैद हुआ , मैं आज़ाद हुआ
उसे फांसी मिली , मुझे फांस
हम दोनों एक ही तो थे
बस उसने बन्दूक उठाई मैंने कलम। ...........

 

 

 

Anurag Kumar Swami

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