Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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अपूर्ण हिंदी ग़ज़ल

 

"एक वस्तु, पर हेतु अनेकों, कैसे?, माला से पूछो।
मातृभूमि हित लाठी खाना, अपने लाला से पूछो !

 

शक्ति प्रेम में कितनी है? ये ऐसे जान न पाओगे,
मीराबाई ने पिया जिसे, ये तो उस हाला से पूछो।

 

कविता लिखना-कविता जीना दोनों अलग अलग कैसे?
काशी प्रसाद के गलियारे में , पड़े निराला से पूछो।"

 

 


- अनुराग शुक्ला

 

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