रही क्रान्ति-भाषा भारत के माथे की बिन्दी माता।
लड़ी साथ में गुजराती, अवधी, बंगला, सिंधी माता।
संकट के भी समय जिन्हें केवल महबूबा याद रही,
उनकी कविताओं का भारत क्या करता, हिन्दी माता!
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रही क्रान्ति-भाषा भारत के माथे की बिन्दी माता।
लड़ी साथ में गुजराती, अवधी, बंगला, सिंधी माता।
संकट के भी समय जिन्हें केवल महबूबा याद रही,
उनकी कविताओं का भारत क्या करता, हिन्दी माता!
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