"हमारे गांव का एक लड़का/ नाम था सत्यप्रकाश,
हाईस्कूल में हमारे साथ ही/ फर्स्टक्लास हुआ पास।
हमे आश्चर्य नहीं हुआ देखकर यह हाल,
हमे आश्चर्य तो तब हुआ/ जब ग्यारहवीं में
फेल हो गया हो अगले साल।
इसका गूढ़ रहस्य/ मै समझ नहीं पाया,
लेकिन जरा देर से/ मेरे दिमाग में आया...
दरअसल, अबकी बार...
न तो उसकी मेहनत काम थी
और न ही पहले/ भाग्य था चमत्कार का।
यह आमूलचूल परिवर्तन था-
मुलायम सिंह की सरकार का।
आश्चर्य का यह वृत्त/अगले वर्ष और छोटा हो गया,
जब प्रकाश इण्टर की परीक्षा में /फिर लोटा हो गया।
सफलता के पायदान से /... एक गिरा बार गिरा
और फिर गिरता ही चला गया..
दो बार फेल हुआ/ प्राइवेट फॉर्म भरा....
और चार साल तक भरता ही चला गया।
किन्तु आख़िरकार/ छठे साल, प्रकाश
इण्टर हुआ पास/ वो भी फर्स्टक्लास।
अंततः उसकी दीर्घकालीन मेहनत/ रंग ला गयी थी,
क्योंकि पांच साल बाद/ सरकार फिर मुलायम जी की आ गयी थी...."
[मित्रों! यह एक सत्य घटना है।]
-अनुराग शुक्ला
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