"सदा संघर्षरत जीवन नई पहचान देता है।
मनुजता और संस्कृति को नये प्रतिमान देता है।
कोई सम्राट बनने से नहीं है धन्य हो जाता,
वही है धन्य! जो निज देश हित बलिदान देता है…"
"पुनः आजाद को दे जन्म संकट के कठिन क्षण में।
मुझे आशीष दे देना इतना रहूँ कटिबद्ध निज प्रण में।
कलम मेरी सदा चलती रहे उनके लिए हे माँ!
कि िजनका राष्ट्र के हित में कलम सर हो गया रण में।"
-अनुराग शुक्ला
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