Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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शिवरात्रि के उपलक्ष्य पर

 
Anurag Atul

"दैविक हो दैहिक हो भौतिक- तीनों प्रकार ,
 शूल को त्रिशूल - धारी हरते हैं शिव जी !

 बाँटते है अमृत,  औ' पीते हैं हलाहल को ,
 शुभाशुभ कर्मों को कर शिव , शिव जी !

 अन्तर में ज्योति जगती है, न कि पुनरुक्ति
 लगती है बोलने पे शिव , शिव , शिव जी !

 शिव करते हैं ध्यानमग्न होके राम - राम ,
राम करते हैं शिव - शिव - शिव - शिव जी !"
          -अनुराग 'अतुल'


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