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यह भारत में पहली बार हो रहा है

 

Anurag Atul


कल  · 


 


This is first time in India.
यह भारत में पहली बार हो रहा है।

 ऐसा लग रहा है जेएनयू में पुलिस और सरकार मिलकर अन्याय का साथ दे रहे हैं। यह खुला खेल है। जहाँ सर्वर रूम में तोड़फोड़ को प्रमुखता दी जा रही है और एक लड़की का सर फोड़ा गया, इस पर पुलिस में बात करने की दम नहीं है। पहले यही पुलिस गुंडों को आराम से यह काम करने देती है। फिर फर्जी सबूतों के आधार उन्हें बचाने की कार्रवाई प्रारम्भ कर देती है।एक फोटो को सबूत माना जा रहा है और वीडियो को 'किसने बनाया यह पता नहीं' कहकर ख़ारिज किया जा रहा है।

ये पहली बार हो रहा है जहाँ india today और alt news के पत्रकार पुलिस से ज्यादा प्रामाणिक साक्ष्य खोजकर उसे सौंप रहे हैं और पुलिस बच्चों की तरह एक स्क्रिप्टेड कहानी पढ़ रही है।

देश धर्म के नाम पर बंट रहा है, जो ग़रीब अस्पताल, स्कूल और रोजगार के नाम पर वोट देता है तुम उससे वोट देने का अधिकार छीनना चाहते हो, तुम्हारे द्वारा दिये सारे आश्वासन दिखावा हैं इसका प्रमाण ये है कि तुम झूठ बोलते हो। जिन मूल्यों को पाने के लिए हमारे बाप दादा अंग्रेजों और विदेशी आक्रांताओं से लड़कर मर गए, तुम उन मूल्यों की हत्या कर रहे हो।
तुम्हें पड़ोसी देश के आये हुए हिंदुओं के दुख दर्द दिखाई पड़ते हैं लेकिन इस देश में रहने वाले हिन्दू, मुस्लिम, सिख और ईसाई के दुख दर्द दिखाई नहीं देते। हमारा दुख ये है कि हमारे प्यार को हमारे भाई चारे को टुकड़े टुकड़े किया जा रहा है। हम अपने दुःख से दुःखी नहीं है, हमारा कुछ नहीं बिगड़ेगा, लेकिन हमारा कोई कमज़ोर गरीब भाई असम की तरह अपने कागज़ नहीं जमा कर पायेगा और वो इस देश में दोयम दर्जे के नागरिक की तरह जीवन जियेगा, हम ये देखना नहीं चाहते। जो हमारी सड़क, नाली साफ करता है, हमारे खेतों पर मजदूरी करता है, जो तुम्हारी गाड़ियों की सफाई करता है, किसी भी तरीके से देश की सेवा करता है, जिस बूढ़े के पास कुछ नहीं है जो बंजारा है और हमें गाना सुनाकर भीख मांगकर जीवन यापन करता है, ये सब हमारे अपने हैं, हम किसी के साथ भेदभाव होते नहीं देख सकते। हमारे साथ हमारे कान्हा का रामडोल बनाने वाले बरक़त चाचा एक कागज के अभाव में हमसे दूर हो जाएं, ये हमसे न देखा जायेगा।

 क्या यही राम राज्य है, जिसके लिए हमने इतनी लड़ाइयां लड़ीं, क्या इसी के लिए आप किसी दल की सरकार चुनते हैं ताकि हमें झूठ और अन्याय का मूकदर्शक बना दिया जाये और हम आईटी सेल के बनाये हुए फेक जुमले और फोटो वायरल करते रहें। अगर हाँ, तो बधाई हो आप जीत गए, हम हार गए।

उस फ़क़ीर प्रधानमंत्री का हम क्या करें जिसे अपने एजेंडे और अहंकार के सामने किसी की चीखें किसी की परेशानी नहीं दिखाई देती।

उस योग प्रचारक व्यापारी का हम क्या करें जो कालाधन काला धन चिल्ला कर अपनी दुकान जमाकर बैठ गया और अब उसे देश में कुछ दिखाई नहीं देता।

उन कबीर के वंशजों का हम क्या करें जिन्हें अपनी किताब बेचने की लालसा के सामने हो रहा अनाचार कमजोर पड़ता सत्य नहीं दिखाई देता।

क्या करें हम ऐसे बुद्धिजीवियों का जिनसे देश, समाज को कुछ उम्मीद थी, किन्तु जिन्होंने जान बूझकर आँखों पर पट्टी बांध ली और वो विचारक से प्रचारक बन गए।

उन सुरक्षा कर्मियों का हम क्या करें जिन्होंने सरकारी आदेश के कारण अपने बच्चों की रोटी को बचा लिया और दूसरों के बच्चों का खून बह जाने दिया।

उन दोस्तों का हम क्या करें जो मेरी कविताओं की तारीफ़ करते हैं लेकिन एक व्यक्ति की अंधभक्ति में इतने चूर हैं कि उन्हें झूठ सत्य लग रहा है, अन्याय न्याय लग रहा है और निर्दोष अपराधी। जो किसी की चोट, आँसुओं पर मुस्कुराते हैं ऐसे मित्रों से मुझे कोई आशा नहीं है।

अगर इस दुनिया में ईश्वर, ख़ुदा, जीसस कोई भी है तो एक दिन तुम्हारे झूठ और अनाचार का साम्राज्य ढहेगा, अगर नहीं है तो हम तो एक दिन मर जायेंगे, लेकिन तुम अमर रहना मोदी और अमित शाह! आज अगर पूज्य अटल बिहारी जी जीवित और सक्रिय होते तो वो भी तुम्हारे ख़िलाफ़ खड़े होते क्योंकि वो नेता से पहले संवेदना से भरे हुए एक कवि थे!

 -अनुराग 'अतुल'

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