वो सरकार के खिलाफ नहीं बोलेंगे
-उनके मंच छिन जायेंगे
वो सरकार के खिलाफ नहीं बोलेंगे
-उनकी नौकरी चली जायेगी
वो सरकार के खिलाफ़ नहीं बोलेंगे
-उनको जेल में डाल दिया जाएगा
वो सरकार के खिलाफ नहीं बोलेंगे
-उनका घर खोदकर तालाब बना दिया जायेगा
आप मत बोलिये
क्योंकि आपके साथ कुछ नहीं हुआ है।
जानता हूँ कि बोलना नहीं है कोई उपाय
फिर भी इस सिस्टम के खिलाफ बोलूँगा
क्योंकि मेरा सब कुछ छीन लिया गया है।
मेरी बहन को रेप के बाद जला दिया गया है
मेरा फ़ौजी भाई आतंकवाद से लड़ते हुए शहीद हो गया है
मेरा बाप खेत में काम करते हुए बूढ़ा हो गया है
मेरे साथी भरी जवानी में नकारा हो गए हैं
मेरे लिये आन्दोलन करने वाले लाठी खा रहे हैं
सरकारी अस्पताल की लाइन में पेट दर्द के लिये
मनोहर पैरासिटामोल की गोली ले रहा है।
'आयुष्मान भारत' का नया बोर्ड आ गया है।
सातवीं पास ज्ञान प्रकाश उसे 'आसमान भारत' पढ़ रहा है।
पता नहीं क्यों, वहाँ
डेंगू का एक मच्छर मरा पड़ा है?
वैसे यह स्वच्छ भारत है -
जिस ज़मीन पर वह खड़ा है।
मैं इस सिस्टम के खिलाफ बोलूँगा
क्योंकि मेरा बहुत कुछ छीन लिया गया है
मुझसे छीन लिया गया है
ईद और दिवाली का उत्साह,
सुबह की चाय की चुस्कियों का स्वाद
मुझसे छीन ली गयी है गाँव की चौपाल
निराला की सरस्वती वंदना
गणेश शंकर विद्यार्थी की तस्वीर
मेरे आँगन के फूलों की रंगीनियाँ
मुझसे छीन लिया है मेरा खेत और खलिहान
मेरे बापू की उम्मीदों का हिंदुस्तान..!
मुझसे छिन गये हैं प्यार के मौसम,
बचपन की बरसात
मेरे संयुक्त परिवार
समूचा जनतंत्र
और मेरी आत्मा
'वसुधैव कुटुंबकम' का मंत्र...
-अनुराग 'अतुल'
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