आओ इश्क करके देखें...
इरादतन एक रोज़ मर के देखें ..।
सुना है.......
ज़िस्म से रुह निकलते ही , मुर्दा है सब कुछ
अब एक और रुह को उतार ,
जिस्म को जीते जी मरते , तड़पते देखें ..
अरे... आओ ना ..! इश्क करके देखें...।
चाँदनी रातों को मचल मचल के गुज़ारें ,
बेचैनियों में कल के सूरज को निगल कर देखें
भागते क्यूँ हो .. आओ प्लीज़ ! इश्क करके देखें
आओ ना , इश्क करके देखें ....!!
क्यूँ साहब .....???
अभी से पसीने छूट गये ?
आपके बड़े इश्क मिजाज़ तेवर थे ना ?
अभी से रुठ गये ....?
सिलसिला रुठने , मनाने का शुरु करके देखें
मैं तो हमेशा मानता हूँ बात आपकी
एक , बार मेरी बात मान कर देखें ।****
ज़हन्नुम में जायें इश्क विश्क
सीधी सी , जिदगी, सीधी-सादी तरह जी कर देखें
उस सच्चे रब के सामने सजदे करके देखें
उसे अभी भी ख्याल तूने , खाया या नही
इम्तिहान का दौर है ,
मीठी नींद सो पाया, या नही ।
उस रिश्ते में है सच्ची पाक मुहब्बत
चलो आओ , हम उसे नवाज़ कर देखें
आओ....
असल से उस रिश्ते की बन्दगी कर
जमीं पर जन्नत बना कर देखें
जमीं पर जन्नत बना कर देखें ....!!!
:------------- अनुराग त्रिवेदी "एहसास
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