Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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आओ इश्क करके देखें ..!

 

आओ इश्क करके देखें...

इरादतन एक रोज़ मर के देखें ..।

सुना है.......

ज़िस्म से रुह निकलते ही , मुर्दा है सब कुछ

अब एक और रुह को उतार ,

जिस्म को जीते जी मरते , तड़पते देखें ..

अरे... आओ ना ..! इश्क करके देखें...।

चाँदनी रातों को मचल मचल के गुज़ारें ,

बेचैनियों में कल के सूरज को निगल कर देखें

भागते क्यूँ हो .. आओ प्लीज़ ! इश्क करके देखें

आओ ना , इश्क करके देखें ....!!

क्यूँ साहब .....???

अभी से पसीने छूट गये ?

आपके बड़े इश्क मिजाज़ तेवर थे ना ?

अभी से रुठ गये ....?

सिलसिला रुठने , मनाने का शुरु करके देखें

मैं तो हमेशा मानता हूँ बात आपकी

एक , बार मेरी बात मान कर देखें ।****

ज़हन्नुम में जायें इश्क विश्क

सीधी सी , जिदगी, सीधी-सादी तरह जी कर देखें

उस सच्चे रब के सामने सजदे करके देखें

उसे अभी भी ख्याल तूने , खाया या नही

इम्तिहान का दौर है ,

मीठी नींद सो पाया, या नही ।

उस रिश्ते में है सच्ची पाक मुहब्बत

चलो आओ , हम उसे नवाज़ कर देखें

आओ....

असल से उस रिश्ते की बन्दगी कर

जमीं पर जन्नत बना कर देखें

जमीं पर जन्नत बना कर देखें ....!!!

 

 

 

:------------- अनुराग त्रिवेदी "एहसास

 

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