सूरत नहीं
सीरत देखा कर
जब इश्क हो
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जिस्म नहीं
तू रूह छुआ कर
जब इश्क हो
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मूरत नहीं
खुदा अपना वही
जिसे पूजते
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इन्सान है तू
उसमे ढूंढा कर
जब इश्क हो
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जब इश्क हो
खुद को भुलाकर
खो जा उसमे
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ऐसा इश्क हो
उसे ही उसे सदा
तू याद कर
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जिस्म नहीं
तू रूह छुआ कर
जब इश्क हो
अनुराग त्रिवेदी .....एहसास
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