Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
Administrator

साथ...!

 

साथ के लिये अक्सर बेज़ार रहते हैं,
कई साथ रह कर भी तलाशते रहते हैं ।


सुकून जाने किस गली से आये,
साथ रह कर भी कुछ उदास रहते हैं ।


साथ फ़कत वो है कि एक एहसास बना रहे !
दूर रह कर भी कई पास पास रहते हैं ।


जाने किसने ये अल्फ़ाज़ रखा होगा "साथ "
साथ से हौसले पनपे.... !
साथ पर कई इल्जाम भी रहते हैं ।

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