1)
खुदा आपके इश्क में, ऐसे ही हमेशा यूँ नूर बरसाता रहे
कोई सावन मा बिते, पपिहा मिलन के गीत गाता रहे
--------------------एहसास
2 )
बेगरती जज़्बात खुद से खारीज हो जायें
इशक में नग़में मीठे ही मीठे पिरोये जायें
कोई मेहरुम ना हो उनकी पाक मुहब्बत से
मेरी दुँआयें सच्चे आशिकों के हिस्से आयें
--------------------अनुराग त्रिवेदी एहसास
3)
एक बात पे बात निकल आती है देखिये
जिन्दगी खिलखिलाती मिलती है देखिये ..
यूँ ही अच्छी बातों का जमा खर्च रखना
पिछले लम्हें से एक साँस घट जाती , देखिये ..
------------------अनुराग त्रिवेदी एहसास ..
4 )
संगेदर सनम है तो क्या , हमने पत्थरों से ही खुदा तराशा है
उसे लगता साजिश मेरी , तो हमने जतन से उसे फँसाया है
फँसी रहे मेरे जज़्बातों से, हमने भी इशक में यही चाहा है
निकलती रही दिल ए संदायें ,हर बार उसे ही उसे पुकारा है
----------------अनुराग त्रिवेदी एहसास
5)
इस जहाँ में, काबिलियत जमा-जोड़ से देखी जाती है ।
उस जहाँ में, इंसान की, बस नीयत परखी जाती है ।
आज हर तरफ यहाँ, मौके पे चौके का दस्तूर है !
उसके दर पर, नेक तदबीर को ही तकदीर दी जाती है ।
-----------------------------------अनुराग त्रिवेदी एहसास
Powered by Froala Editor
LEAVE A REPLY