Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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इस बार रंग नहीं लिखूंगा.......

 

इस बार रंग नहीं लिखूंगा.......
रंगों से.....!!
रंग की परिभाषाएं....!!
रक्तिम संवेदनाएं.....!!
हरितिम उल्लास......!!
धवल विश्वास.....!!
स्नेहिल उजास.....!!
भोर का आकाश.....!!
अबोध स्वप्न....!!
खोया अपनत्व....!!
स्व का स्वत्व....!!
विस्तृत परम तत्व...!!
पगडंडियों की पीड़ा...!!
नववधू की लज्जा....!!
बूढी आंखों की व्यथा....!!
अधूरी प्रेम कथा.....!!
प्रतीक्षा की पीर....!!
विरह के नीर.....!!
मटमैली धरा पर...
आओ बुने.....
कुछ बीज....
मानवता के...
खिले माटी के तन पर..
नीले...पीले...लाल
हरे...गुलाबी...आसमानी
श्वेत...श्याम...चम्पयी रंग
मानवता के......!!
अम्बर सप्तवर्णी होकर
धरा पर उतर आए.....!!
नव रंग नव उमंग
होली में छाए....!!

 

 


अर्चना कुमारी

 

 

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