Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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मैं शमशान...

 
मैं शमशान...

कुछ ऐसी है मेरी चाहत लोगों में कि कोई मिलना नहीं चाहता मुझसे... और आना भी हुआ तो बस चंद लम्हे रुकना ही मुनासिब समझते हैं लोग... ऐसा नहीं कि मैं बुरा हूँ या कोई दिक्कत दूंगा तुम्हें... हाँ इतना जरुर है की इस निर्दयी और कठोर दिल वालों की दुनिया में सुकून सिर्फ मेरे यहाँ आने से ही मिलेगा तुम्हे... कितना भी भाग लो मेरे से उम्र भर... जब लम्बी नींद की जरुरत पड़ेगी तो मुझे ही याद करके रोओगे सब... बाहर से भले ही डरावना हूँ दिखने में, लेकिन जो मेरे साथ हैं बरसो से उनसे पूछो कितना सुकून है उन्हें मुझसे मिलके... दुआ मेरी भी यही है की मेरे से मिलने कोई ना आये कभी, लेकिन दुआ अगर सबकी कबूल होने लगे तो इस दुनिया में दिल किसी के पास नहीं होगा... हम बुरे इतने भी नहीं की किसी को अपने पास बुलाने के लिए चाल चले, अरे मैं तो मुर्दों को भी इज़्ज़त के साथ सालों तक बिना किसी शिकायत के पनाह देता आया हूँ और देता रहूँगा... तुम इंसान तो सिर्फ मतलब के लिए साथ खड़े हो एक दुसरे के... अगर गलत हूँ तो मंज़ूर है कोई भी दण्ड लेकिन याद रखना खुद को सही साबित करने के चक्कर में कोई नया काण्ड न कर बैठना... बाकी समझदार तो हो ही आप लोग, गुनाह भी इस कदर करते हो कि सब मुझे ही गुनेहगार समझते हैं और मुझसे दूरी बनाने में ही अपनी भलाई मानते हैं... अपनों को खोने का दुख समझता हूँ, लेकिन साथ जब थे तब क्या दुखी नहीं थे... मैं आपको बुरा नहीं बोलना चाहता लेकिन ये कड़वी दवाई की तरह ही सच है की जब तक आप किसी चीज़ को खो नहीं देते तब तक उसकी अहमियत पता नहीं चलती... मुझे अपने आप पर नाज़ है कि मैं शरीर की कैद से पवित्र आत्मा को आज़ाद करता हूँ... अलग अलग धर्म हैं दुनिया में फिर भी जिसकी जैसी फ़रमाइश होती है मै पूरा करता हूँ... कुछ ज़मीन की खवाइश रखते हैं तोह कोई अग्नि की... मैं तो बिना किसी लोभ लालच के बस अपना काम करता हूँ, फिर भी आप मुझे नफ़रत की निगहाओं से देखते हैं... मैं बुरा नहीं हूँ बस मुझे बुरा समझा जाने लगा है सदियों से... शिकार मैं भी हुआ हूँ भ्रस्टाचार का लेकिन आपके जैसे मै भी कुछ नहीं कर पाया, बात आपके अपनों को उनकी सही मंज़िल तक भेजने की जो थी...अंत में यही बोलना चाहूंगा, मैं नफरत खत्म करने में विश्वास रखता हूँ इसलिए मुझसे नफरत है लोगों को

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