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Ashish Kumar Pandey 

Apr 2, 2020, 8:13 PM (19 hours ago)



to me 


                         शायरी



1- दुनिया को मेरी  बेवाफ़ाई  बताने  वाले  याद कर


  इंतज़ार  की  इन्तेहाँ  भी  किया  करते  थे   हम 


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2- आँखे और सुरमे की जुगलबंदी के आगे  दिल कुछ यूँ  खोया की...  


मुद्दतें हो गयी उसकी तलाश में और जब लगा की ढून्ढ लिया हमने खोये दिल को...  


  कम्बख्त हम फिर से जुगलबंदी में उलझ गए


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3-   

बदलते दौर और बदलती मानसिकता साफ बयां कर रही है...


इंसानियत  भी  अब  विलुप्त   होने   के  कगार  पर  आ  खड़ी  है



                   - आशीष कुमार पांडेय




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