जो बिछाये राह में तुमने मेरी,
अब तलक वो खार चुनवाये नहीं,
कैसे जाना तुमने अपना हाल-ए-दिल,
आबले हमने तो दिखलाए नहीं,
भींगने की आस में हम जल गए,
तुम घटा बनकर कभी छाए नहीं,
ज़िंदगी लंबी बहुत तो थी मगर,
बिन तुम्हारे मुस्कुरा पाये नहीं,
आखिरी पन्ने पे बोलो क्या लिखूँ,
तुम यहाँ तक साथ तो आए नहीं,
अस्तित्व "अंकुर"
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