झूठ हमसे तंग अब आने लगा है,
और सच खुद ही बयां होने लगा है,
अब्र में आंसू मेरे ढल तो गये पर,
आसमां अब देख लो रोने लगा है,अब्र=बादल
जब तलक मैं था अकेला खूब था चर्चा मेरा,
हमकदम बढ़ते गए और आम मैं होता गया,
अपनी मर्ज़ी से चले कुछ लोग मेरे रास्ते,
मुश्किलें उनकी बढीं बदनाम मैं होता गया
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