पेशावर में हुए भीषण नरसंहार में शहीद उन सभी लोगों
को श्रद्धांजलि..!!
वो बच्चे जो खुद ख़ुदा का रूप होते हैं उनका कत्लेआम
निहायत ही कायराना और नाकाबिले बर्दाश्त है..
जन्नत की इक्षा रखने वाले उन धर्म के ठेकेदारों को
अल्लाह कभी माफ़ नहीं करेगा..
माँ प्यारी माँ! अब मैं चला! फिर मिलेंगे जन्नत में
इंसान ना बनाये ख़ुदा फिर, इल्तिजा है मेरी मन्नत में
माँ तुमने मुझको डांटा था
देख धब्बा स्याही का बस्ते पर
सना हुआ है लहू से मेरे
पड़ा हुआ है रस्ते पर
टेबल पर इतिहास की कॉपी
पता ना था, रक्त से लाल हो जायेगी
सोचा ना था कॉपी ये एक दिन
मेरा ही इतिहास बताएगी
माँ! टीचर ने रोका बहुत उन्हें
अल्लाह का भी वास्ता दिया
एक गोली की आवाज़ और चीख ने
दहशतगर्दों को हमारा रस्ता दिया
काले जूते! हाँ हाँ! वो काले जूते
ऐसे जैसे हो काल मेरा
बढ़ चले मेरी तरफ जब
भयभीत बहुत था लाल तेरा
ऐ ख़ुदा! वस्त्र को लोहा कर दे
कॉपी को ढाल बना दे तू
फौलाद बना दे दिल को मेरे
बन्दूक कलम को बना दे तू
पर सारी हिम्मत पस्त हुई
बाजू में धंसी जब पहली गोली
लो दूजी भी धंसी मेरे सीने में
और बंद हो गयी मेरी बोली
गिरा फर्श पर अब नीचे मैं
माथे के नीचे कन्धा इरफ़ान का था
सोच रहा दहशतगर्दों के शरीर में
रक्त, अब जानवर का है, जो इंसान का था
समीर गिरा, अशफ़ाक गिरा
ना खत्म हो रही गिनती थी
तैर रहा था खून फर्श पर
परछाईं मेरी जिसमे धुंधली सी दिखती थी
मेरा भी चेहरा वैसा ही था
जैसा है इन धर्म के ठेकेदारों का
ये सोच आँखों से ढलका आँसू
कौन सा धर्म है इन हत्यारों का
कौन सा धर्म है इन हत्यारों का . . . . . .
बस अब और नहीं लिख सकता... आँखे भर आयी हैं, गला रुंध गया है, कलम भी सुस्त होती लग रही है.....
मानवता और इंसानियत का भविष्य अब ख़ुदा के हाथों में है....
-अतुल कुमार सिंह
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