Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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शेर

 
  • तेरे हुस्न के दीदार की ख़ातिर
    कहीं ये चाँद भी ना झुक जाये,
    कि अब और इन्तज़ार ना कराओ ऐसे,
    यूँ तेरे इन्तज़ार में मेरी सांसे ना रुक जाये॥

 

  • है दिल में असीम प्यार पर बताने से डरते हैं,
    रुसवा ना हो जाये वो जो इस ज़माने से डरते हैं|
    शायद वो भी करते हैं मोहब्बत हमसे,
    पर वो शायद हमे आजमाने से डरते हैं||

 

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