दिल की बुझा के आग जलाते क्यूँ हो आये थे मेरे पास तो जाते क्यूँ हो ! बेहतर तो था कह देते हमसे इश्क नहीं है मेरे ख्वाबों को मजबूरियां दिखाते क्यूँ हो ! जिस बात ने हमको छोड़ा ना कहीं का हर वक़्त उसी बात को लाते क्यूँ हो ! मौत के रहम ने आज नींद बक्श दी सोने दो 'मान' को अब जगाते क्यूँ हो !! -- avenindra k.maan
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