क्यों लहु भरा इन ऑखों में
क्यों बैचनी है ख्वाबों में
बस यही सोचता रहता हॅू मैं
जमीर ही मर गया इंसानों में
कलाम किसी और का सुनाया नहीं जाता !
दिल अब किसी और से लगाया नहीं जाता !!
जब से पिये है,तेरी ऑखों के नशीले जाम !
पैमाना अब इन हाथों से उठाया नहीं जाता !!
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