Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
Administrator

भारत को जानो

 

-बालम
भारत को जानो
जिसको स्वर्ग की संज्ञा दी गई
रीज़नल माऊंनटेनरिंग सैंटर, स्वर्ग आश्रम, मैक्लोडगंज, ध्र्मशाला ;हि.प्र.द्ध
रीज़नल माऊंनटेनरिंग सैंटर, स्वर्ग आश्रम, मैक्लोडगंज, ध्र्मशाला, जिला कांगड़ा ;हिमाचल प्रदेशद्ध, भारत का प्रसि( स्थान है। यहां बच्चों, नवयुवको;लड़के-लड़कियांद्ध, काॅलेज, स्कूलों के विद्यार्थियों, सभाएं, सोसायटीस, संस्थायों इत्यादि को तरह तरह प्रशिक्षण दिए जाते हैं। यह प्रशिक्षण कोर्स के रूप में होते हैं। जिसकी फीस देनी पड़ती है। ग्रुप तथा परिवार सदस्य भी यहां ठहर सकते हैं। समस्त प्रयोजन के लिए बुकिंग करवानी पड़ती है।
इस स्थान को स्वर्ग की संज्ञा दी गई है। क्योंकि यह स्थान मैक्लोडगंज के चैक से बाईं ओर, ऊपर जाते रास्ते से लगभग पांच किलोमीटर जंगल के बीच स्थित है।
इसका प्रवेश द्वारा एक लोहे का गेट है, इसके पीछे प्राचीन जंगल हैं, और जंगल के रास्ते से इस स्थान पर पहुंचा जाता है। यह स्थान 1910 को अस्तित्त्व में आया। लगभग 80 कनाल में फैला यह स्थान खड्ड के साथ तथा पहाड़ों की भव्य वादियों में मौजूद है। दूर-दूर ऊंची, आसमान से बातें करती भव्य बर्फीली पहाड़ियां सृजनात्मक भावनाएं पल्लवित करती हैं। क्योंकि यह स्थान मंत्रा मुग्ध् तथा परमानंद का आन्तरिक ऊर्जा स्त्रोत है। मनुष्य का प्रकृति से आत्त्म संतृप्ति का गहरा संबंध् है।
गर्मियों में भी यहां ठंडी, हृदयों को पुलकित करती है। यह बर्फीली ठंडी, सुन्दर भविष्य के स्वप्नों में उत्साह भरती है। यहां की प्राचीन इमारित इस तरह की शैली-शिल्प में निर्माणन्वित है कि यहां आहयात्मिक या लौकिक प्रेम का उन्माद छलकता है। यही स्थान है यहां आत्त्मा को भौतिक शरीर से परे करता है। मनुष्य का प्राचीन काल से ही प्रकृत्यतीत शक्ति से संबंध् रहा है। आंखों को नए दृश्य आत्म विकास का प्रतिबिंब देकर मध्ुर संवेदनाओं के मूल तत्त्वों से जोड़ते हैं। शांति, एकांत, एकाग्रता, तनहाई, अतीतोनमुखी मूल्यों को नैतिक दृष्टिकोण सौहार्द का सौंदर्य प्रदान करता है।
यह स्थान भावना, भाव, विचार तथा प्रकृति के प्रतिभासों, अनुभव मण्डलों का संश्लेषण और प्रकाशन का प्रयत्त्न करता है।
यहां सुबह, सुर्दोदय के वल युक्त सौंदर्य में प्रकृति के साथ आनंद तथा संवेदना की तरलता उत्पन्न कर देती है। जीवन में एकाग्रता में सृष्टि का आनंद तथा नया सौंदर्य प्रदान करती है।
शाम को सुर्योस्त का दृश्य आत्मा में प्रकाश, निष्ठाबान नेतृत्त्व का आशय, दश्श्रिम का वहुआयामी संदेश, तथा विजय के प्रति विम्व उत्पन्न कर देता है। मनुष्य को विजयी का माध्ुर्य तथा संतोष उत्सव बख्शता है। आसमान के ललाट पर चांद तारों का सिंदूर बिखेर जाता है। यहीं स्वर्ग की परिभाषा है।
इस स्थान पर बौ( गुरू दलाई लामा 15 वर्ष तक ठहरे थे। देश के नवयुवक यहां आ कर अनुशासन, देशभक्ति, प्यार, आत्त्म विकास, मध्ुर संवेदनाए, बहिलोक तथा अन्तरलोक का रिश्ता, आध्यात्म, आन्तरिक ऊर्जा, उत्साह, प्रेरण, माध्ुर्य भाषा, संस्कृति, सूक्ष्म कलात्मकता, संस्कारों का समर्थन, साम्प्रदायिकता, प्रकृति के प्रति घनिष्ट लगाव, जुड़ाव, भ्रमण की खूबियां, सहिप्णुता, बड़ों का सत्कार, विश्वव्यापी प्रेम, जिम्मेवारी का अहसास, हिमालय की जानकारी, पहाड़ों की यात्रा, पुष्प भाषा समझना, प्रदर्शनियां लगाना, ऊंचे-नीचे रास्ते की जानकारी, लम्बी दौड़ें, बर्फ की क्रीड़ा क्रियाएं, बेसिक कोर्स, इत्यादि क्रियाएं सीखते हैं।
इसके अतिरक्त भाषायों के कोर्स, और एक अप्रैल से दिसम्बर माह तक दिनों, साप्ताहिक, तथा माह तक के कोर्स करवाए जाते हैं। समस्त कोर्स फौजी अनुशासन में होते हैं।
दाखिला प्रवेश के लिए प्रूफ जरूरी हैं। कोर्स के मुताबिक आयु देखी जाती है। नई दिल्ली, चंडीगढ़, पठानकोट से रेलवे, बस, टैक्सी मिल जाती है। यहां समीप गगल कांगड़ा ऐयर पोर्ट भी है। समस्त विद्यार्थी यहां दाखिला ले सकते हैं। छुट्टिðयों में खास करके।
यहां की सुपरवाईजर ;प्रभारीद्ध अनुजा अवस्थी ने बताया कि भारत के किसी भी कोने से किसी भी स्कूल, काॅलेज, संस्था, सोसायटी के नवयुवक यहां आ कर ठहर भी सकते हैं तथा कुछ दिनों के कोर्सों में भाग ले सकते हैं। यहां भोजन अवस्था तथा ठहरने का पूरा पूरा प्रबंध् है परंतु ठहरने की संख्या सीमित है। भोजन अवस्था सस्ते तथा बढ़िया ढंग की है। यहां बुज़ुर्गों के ठहरने का भी प्रबंध् है। यहां कोर्स करते विद्यार्थियों को बसों या टैक्सियों के ज़रिए दूर-दराज़ के स्थान दिखाए जाते हैं। कोर्सों के लिए निश्चित स्थानों पर ले जाया जाता है। देश के बच्चों को यहां आना चाहिए और अपने सौष्ठव, स्वस्थ, देश भक्ति, अनुशासन, ज्ञान, सेहत या शारीरक क्रियाओं के माध्यम से जुड़ना चाहिए। यह ही देश की तरक्की का बहुमूल्य स्त्रोत है। विद्या, ज्ञान, खेल जरूरी है। श्री विवेकानंद जीन ने कहा है कि बच्चों के लिए ज्ञान तथा खेल कूद जरूरी है न कि धर्मिकता। उनकी वैब साईट है ूूूण्ंकअमदजनतमीपउंसंलंण्वतह देखें।
बलविन्दर ‘बालम’ गुरदासपुर
ओंकार नगर, गुरदासपुर ;पंजाबद्ध
एडमिंटन, कनेडा वाॅट्सऐप 98156-25409



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