Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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देश मेरा खुशहाल रहे यह चाहत है

 

देश मेरा खुशहाल रहे यह चाहत है।

फूलों वाली डाल रहे यह चाहत है।

सब धर्मों का साझा इक संगीत रहे,

सादिक में सुरताल रहे यह चाहत है।

अम्बर में जैसे चाँद सितारे ऐसे,

प्यार रहे हर हाल रहे यह चाहत है।

घर-घर सुख सहूलियत दे दाता,

कुदरत बन कर ढाल रहे यह चाहत है।

बंदा ही भगवान बने इन्सान बने,

दीन दुखी का ख्याल रहे यह चाहत है।

सर्वोदय में सर्वप्रियता हो नर-नारी,

सबकी निरूपम चाल रहे यह चाहत है।

शुभआशीषें किलकारी हर्षोत्फुल्ल में,

घर में नन्हे बाल रहे यह चाहत है।

चूल्हे की अग्नि हर झोंपड़ में रोज़ जले,

ना कोई कंगाल रहे यह चाहत है।

‘बालम’ सब पिंजरों को खंण्डित कर दो,

ना शिकारी ना जाल रहे यह चाहत है।

                                बलविन्द्र ‘बालम’ गुरदासपुर

              ओंकार नगर गुरदासपुर (पंजाब)

              मोः 9815625409

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