Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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दोस्ती के घर जलाए किस लिए?

 

दोस्ती के घर जलाए किस लिए?

हो गए अपने पराए किस लिए?

कौन आएगा दिलों के गांव में?

कोई अपने घर सजाए किस लिए?

अब तो यह बसती भी कब्रिस्तान है,

लोगों ने खंजर उठाए किस लिए?

इक अंधेरी रात में तूफान ने,

मांग के दीपक बुझाए किस लिए?

कतल पहले ही किसी का हो चुका,

फूल जूड़े में सजाए किस लिए?

ज़िंदगी में क्या नही ंहम ने किया,

कोई हम को आजमाए किस लिए?

ज़िंदगी दो चार दिन का खेल है,

आदमी सपने सजाए किस लिए?

जख़्म पहले ही नहीं ‘बालम’ भरे,

तीर नज़रों के चलाए किस लिए?

                                बलविन्द्र ‘बालम’ गुरदासपुर

           ओंकार नगर गुरदासपुर (पंजाब)

          मोः 9815625409

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