Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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जिस तरह भी थी जवानी बीत गई

 
जिस तरह भी थी जवानी बीत गई।
इक कहानी थी कहानी बीत गई ।
खूबसूरत निर्झरों के वेग में,
सूखा पानी तो रवानी बीत गई।
चमकता तारा गगन से टूटा क्या,
आंख झपकी जिंदगानी बीत गई।
पतझड़ी में भी शगूफे ढूंढते,
जब कि सारी रूत सुहानी बीत गई।
ख़त्म हुईं लहरें तो ठहरतीं किश्तियां,
इक नदी की मेहरबानी बीत गई।
डूब गया सूरज अधेंरा जा गया,
बात बालम थी पुरानी बीत गई।
बलविंदर बालम गुरदासपुर ओंकार नगर गुरदासपुर पंजाब मेसंजर +919815625409, कनेडा

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