बालम
जंगल में शुभ मंगल प्रतिष्ठा का आगमन: कनानाकिस ;कनेडाद्ध
प्रकृति से मालामाल, ओत प्रोत भव्य स्थान देखने से आंखों को ताज़गी, मौसम, तथा माहौल परिवर्तन, मस्तिष्क, मन हृदय को आत्त्मसात मंत्रा मध्ुर चंचल सपन्दन, तथा एकाग्रता ने परमानंद का उत्सव मिलता है। नईं ख़ूबसूरत प्राकृतिक स्थान देखने से दिल-दिमाग़ को एक नईं ऊर्जा तथा आत्त्म संतृष्टि मिलती है। भ्रमण करना या घुमकक्ड़ ;यायावरद्ध होना शारीरक तंदरूस्ती की निशानी है। इससे सृजनात्मिक भावना पुलवित होती है। मनुष्य का कुदरत से एकाग्रता में तथा संस्कारित संबंध् भी है। नवीन भव्य स्थान आत्त्मा को प्रकाश देते हैं। दिमाग़ी तथा शारीरक थकावट को दूर करके भव्य भविष्य को लौकिक संवेदननाएं प्रदान करते हैं।
इसी संदर्भ में मैं तथा डाॅक्टर हरेन्दर पाल सिंह ने अल्वर्टा राज्य ;कनेडाद्ध की कुछ विख्यात, महत्त्वपूर्ण तथा भव्य जगह देखने का मन बनाया।
हमने एडमिंटन से निकलने से पहले लेखक सतेन्दर सुकरात रैडॅ-एफ.एम. रेडियो न्यूज़ रीडर, कैलगरी को फोन लगाया। उससे हमारी सारी बातचीत तय हो गई।
कैलगरी से हम छुट्टðी वाले दिन अपनी कार में तीनों निकल पड़े। कई स्थान घूमने के बाद हमने प्रसि( स्थान कनानासकिस देखने की संयुक्त इच्छा प्रगटाई और गाड़ी कनानासकिस स्थान की ओर मोड़ ली।
कैलगरी से कुछ घण्टों के पश्चात हम मेन रोड से बिल्कुल एक तरफ दूर एक सुनसान ;एकांतद्ध जगह की ओर प्रवेश करते चले गए। गाड़ी एक घने जंगल में प्रवेश कर गई परंतु समझ नहीं आ रही थी कि कनानासकिस स्थान की ओर किस दिशा में जा रही है। जंगल भूल-भुलैया नाटकिए दिशा में उलझाऊ था।
मोबाइल पर लगाया जी.पी.एस. ;ग्लोबल पोज़िशनिंग सिस्टमद्ध अपनी दिशा-निर्देशय सही बता रहा था परंतु घने जंगल में कोई इमारित नज़र नहीं आ रही थी। ध्ैर्य तथा हौंसला रखते हुए हम घने एकांतमई जंगल में गाड़ी तेज़ रफतार से ले जा रहे थे। थोडा नज़दीक जाकर वृक्षों की झिलमिलाती सुराख़मई ध्ूप से एक इमारित का दृश्य झिलमिलाया।
कुछ मिण्टों के बाद हमने देखा कि भव्य आविष्कारी आध्ुनिक इमारतें, रास्तों के दाईं-बाईं अलग-अलग प्रजातियों के रंग-बरंगे फूल, दरिया की करतल ध्वनि, छैल छबीले बर्फीले तिकोने पहाड़ तथा हरियाली की चंचलता हमारे सामने थी।
दिल-दिमाग से आंखों ने वाह! वाह! कहते कनानासकिस में प्रवेश लिया। इस भव्य लैंड स्केपिंग जंगल में आलीशान महंगे तथा सस्ते होटल, माॅल मार्किट, मनोरंजन के अनेकानके स्थान, क्रीड़ा उपकरण, बच्चों के लिए विशेष मनोरंजन सहयोगी भव्य क्रीड़ा-क्रियाएं, साईकिल मनोरंजन सुविध, अदभुत्-आकर्षक लैंड स्केपिंग तथा भव्यता अपने संस्कारों से दिव्यता की गोद में जन्नत की राहनुमाई कर रही थी।
यहां की दुध्यिा पहाड़ियां, ठंडा गुनगुना, गुदगुदा मखमली मौसम तथा सुखद वातावरण, जैसे मानवता का जन्नतनुमां अभिवादन, अभिनंदन कर रहा हो।
कनानासकिस क्षेत्रा कैलगरी ;अल्बर्टाद्ध कनेडा के पश्चिम की ओर तलहरों तथा कनेडियन रौकीज़ के सामने सीमाओं में एक पार्क प्रणाली है। इस क्षेत्रा को तीन हाईवेज़ द्वारा जोड़ा गया है।
कैलगरी विश्वविद्यालय तथा वातावरण आविष्कार केन्द्र, गर्मी शिविर क्षेत्रा, ईश्टर सीलज़ कैंप हीरोजीन आदि महत्त्वपूर्ण स्थान कनानासकिस के अन्दर हाईवे 66 के नज़दीक स्थित है। न्यूज़ रीडर सतेन्दर ने बताया कि कनोडियन, ख़गोल, भूगोल तथा अन्या विष्कारी विज्ञानियों में एक ख़ासियत है, संस्कारित चिन्ह् हैं कि यह लोग हैलिकाप्टर के ज़रिए स्थानों का अविष्कार करते हैं। यहां प्राकृतिक स्त्रोत मालामाल हो, वहां होटल, मनोरंजन स्थान, आबादी, शहर, सुविधए मुहैया कर देते हैं। यह परिक्षम तथा उद्यम की बात है। यह लोग आविष्कारी हैं। दूसरे लोग केवल मेहनती होते हैं।
1858 के करीब कैप्टन जौहन पालीसीअर ने इस भव्य वादी की खोज की तथा इस स्थान को कनानासकिस की संज्ञा दी।
इस स्थान से एक मर्मस्पर्शी दंत कथा जुड़ी हुई है। इस जंगलनुमां क्षेत्रा में आशिक मिज़ाज एवं यो(ा पुरूष जिसका नाम क्री-किन-ए-ऐकिस था। यहां का मूल निवासी था। उसका किसी सुंदर नारी से ईश्क़ था। जिस करके वह मर गया या जीवित रहा, इसका भेद ही रहा। उस पर हमला ‘शेबे’ नामक स्थान पर हुआ था जो बो नदी तथा कनानासकिस नदियों के संगम पर था।
इस क्षेत्र को ‘कनेडियन रौकीज़’ भी कहते हैं। इसी स्थान को ‘पानी की मीटिंग’ या ‘मीटिंग’ भी कहा जाता था।
1970 के करीब अल्बर्टा राज्य में तेल की आमद बड़ी तो इस क्षेत्रा की भी सुनी गई। लगभग 1977 के करीब इस क्षेत्रा को पीटर लौजीट द्वारा कनानासकिस देश प्राशील मनोरंजन क्षेत्रा द्वारा नियुक्त उद्योगों का प्रबंध् करना था।
इस क्षेत्रा की ओर यू आकार की घाटियां तथा पहाड़ करोड़ों वर्ष पुराने हैं। तरक्की की मंज़िलें छूता यह स्थान आजकल विश्व प्रसि( स्थान है। यहां इस स्थान के कुछ हिस्सों को ‘रौकी माऊंनटेन नैशनल पार्क’ ;अब बैंफ नैशनल पार्कद्ध में शामिल कर लिया गया। यह राज्य अब अल्बर्टा राज्य की सरकार के अध्ीन है।
1960 के करीब प्रसि( वो वैली क्षेत्रा की ओर बाग़-बाग़ान, उद्यौग, पशुपालन, भ्रमण, जानवर-पौधें के आविष्कारी स्थान, तेल उत्पादन, ज़रूरी ज़रूरतें, सुरक्षा माहौल, तथा अनेक तरक्कीयुक्त स्थान, उत्पादनों करके इसको मज़बूत कर दिया।
यह स्थान प्रकृति की मेहरवानियों, नज़ारों तथा विज्ञानियों की खोजपूर्वक मेहनत सदका आज विश्व प्रसि( है। इमारित निर्माण शैली तथा प्राकृतिक स्त्रोत के भव्य मिलन से इस स्थान को स्वर्ग की संज्ञा देना उचित्य है।
यहां गर्मियां के दिनों में ही आएं। ठंड में सर्दी में केवल परिचत लोग ही आते हैं। यहां केवल टैक्सी या बाई कार ही जा सकते हैं। कनेडा जाएं तो यह स्थान देखना ना भूलें।
बलविन्दर ‘बालम’ गुरदासपुर
ओंकार नगर, गुरदासपुर ;पंजाबद्ध
ऽ एडमिंटन, कनेडा व्हाट्सएप 98156-25409
ऽ यह मेरी रचना मौलिक तथा अप्रकाशित है।
-बालम
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