नारी जन्नत की परिभाषा
नारी जन्नत की परिभाषा।
नारी पीढ़ी की अभिलाषा।
नारी मन्दिर में जैसे ज्योति।
नारी ममता से भरी गोदी।
नारी शीतल नीर समन्दर।
नारी सचखण्ड में हरिमन्दिर।
नारी ध्रती नारी अम्बर।
नारी सुखमणि दुख अन्दर।
नारी शुभ मंगल अभिवादन।
नारी मारूस्थल में सावन।
नारी अग्नि नारी मंज़र।
नारी दुश्मन के लिए खंज़र।
नारी सत्यम् सुन्दरम शक्ति।
नारी पूजा नारी भक्ति।
नारी बंदनवार है दर पर।
नारी कृपा दृष्टि घर पर।
नारी ज्यों खिलती खुशहाली।
नारी सारे जग की वाली।
नारी बहता दरिया है पर।
नारी चढ़ती बाढ़ का डर।
नारी मंगल कलश प्यारा।
नारी प्रभ का रूप न्यारा।
नारी से है यह संसार।
नारी से है सब भण्डार।
नारी कोमल गंदल जैसी।
नारी खुशबू चंदन जैसी।
नारी लता मुहोब्बत वाली।
नारी फूलों से लदी डाली।
नारी सर्वकला सम्पन्न।
नारी अर्पण नारी दर्पण।
नारी सारे जगकी जननी।
नारी ज्यों दीपक की अग्नि।
नारी अमृत पाक पवित्रा।
नारी सब से सच्चा मित्रा।
नारी ‘बालम’ है नारीश्वर।
नारी ध्र्म परम अखिलेश्वर।
बलविन्दर ‘बालम’ गुरदासपुर
ओंकार नगर, गुरदासपुर ;पंजाबद्ध
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