19 जून पिता दिवस पर
पौ फटने की लाली जैसा प्यार पिता का होता।
फूलों वाली डाली जैसा प्यार पिता का होता
जिस के चुम्बन की लोरी में जन्नत शुभ आशीषें,
शहद भरी प्याली जैसा प्यार पिता का होता।
रौशनियों के बंदनवार फलित कलकूजक हर्षा
शुभ त्योहार दिवाली जैसा प्यार पिता का होता।
पकड़ के जिस की उंगली पाया प्यार जमाने वाला,
रखवाली, खुशहाली जैसा प्यार पिता का होता।
भिन्न, भिन्न फू ल खिले होते हैं परन्तु माटी एक सी,
बाग में रूत मतवाली जैसा प्यार पिता का होता।
हर एक इच्छा पूरी होती जो भी मांगा जाए,
पूजा अर्चन थाली जैसा प्यार पिता का होता।
जिसके कारण फू लों भीतर खुशबूयों की आमद,
गुलशन भीतर माली जैसा प्यार पिता का होता
सारे घर की बरकत शोहरत तंदरूस्ती का आलम,
चूल्हे बीच ज्वाली जैसा प्यार पिता का होता।
जन्नत जैसा, मन्दिर जैसा, एक मसीहे जैसा,
खुश्बू और हरियाली जैसा प्यार पिता का होता।
‘बालम’ माटी की खुशहाली भारत का सिर ऊँचा,
हल तथा पंजाली जैसा प्यार पिता का होता।
बलविन्दर ‘बालम’ गुरदासपुर
ओंकार नगर, गुरदासपुर (पंजाब)
मोबाईल नंबर : +98156-25409
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