श्री गुरू अर्जन देव जी. 3june
जून का महीना गर्मीथी कहर की।
तपती थी धूप सिर पर दोपहर की।
जलती लोह को गुरू साहिबान सह गए।
ज़ालिमों का हो जाएगा नाश् कह गए।
पा कर शहीदी इतिहास रच गए।
सूर्या की भांति एक आस रच गए।
दुनिया में ऐसा कौन हो सकना है।
स्वयं ज़िदगानी को जो खे सकता है।
साल तैतालीस, महीना सोलह दिन।
शहीदी के वह दे गए सदियों के चिन्ह।
गुरू रामदास जी के घर पैदा हुए।
फिर माता भानी जी की खुशी ना समोए।
जन्म स्थन प्यारा गोएंदवाल जी।
नेकी वाले फूलों से भरी है ढाल जी।
हुआ था विवाह माता गंगा साथ जी।
पैदा हुए फिर हरगोबिंद लाल जी।
अमृतमर प्रचार का स्थान सेंहना था।
वातावरण कुदरत का मनमोहना था।
अनेक ही भाषायों के ज्ञाता हुए है।
ग्रंथ की संपादन के दाता हुए है।
चौदह सौ तीस पन्नों का किया संपादन।
सच्चे सहृदय कवियों का अभिवादन।
भट्ट, गुर सिक्ख, भक्तों की वाणी है।
गुरू जी बाणी बसमें लासानी है।
जाति पाति रूप रंग के त्याग में।
इन्सानी मूल्य भर दिए प्यार में।
गुरू जी के दौ सौ सतहतर शलोक है।
चांद सितारों जैसे सच्चे बोल है।
उनका यार मीआ मीर बालमा।
उच्च कोटि वाला था फकीर बालमा।
एैसे याराने कहीं मिलते न बालमा।
बार-बार फूल एैसे खिलते न बालमा।
सूरज का जलता पैगाम रहेगा।
गुरू जी का दुनियां में नाम रहेगा।
बलविन्दर बालम गुरदासपुर
ओंकार नगर गुरदासपुर पंजाब
मो 9815625409
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