Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
Administrator

टूटे वृक्ष निशानी की बात कोई ना

 

गजल

टूटे वृक्ष निशानी की बात कोई ना।

छांव बीच जवानी की बात कोई ना।

गहरे-गहरे पानी को लाँघ गए हैं,

छिछले-छिछले पानी की बात कोई ना।

अपने ही साथ रहे दुख-सुख व्यथा में,

रूठे हुए प्राणी की बात कोई ना।

अक्षरों के साथ सदा रहे हैं याराने,

नाकामी शैतानी की बात कोई ना।

घर की जिम्मेवारी आँख भी ना उठ पाई,

गोरे कंठ में गानी की बात कोई ना।

चल मन मेरे यहाँ क्या हम ने करना,

महफिल में दिल जानी की बात कोई ना।

तारे चाँद सूरज इक्ट्ठे हो नहीं सकते,

नभ की मेहर बानी की बात कोई ना।

बंद डिब्बों भीतर है पकवान तेजाबी,

मटकी और मथानी की बात कोई ना।

खुशबू, मयखाने, घूमे देश विदेश, (देश)

’बालम‘ बीच नादानी की बात कोई ना।


                                बलविंदर ’बालम‘ गुरदासपुर

                                ओंकार नगर, गुरदासपुर (पंजाब)

                                मोः 9815625409

Powered by Froala Editor

LEAVE A REPLY
हर उत्सव के अवसर पर उपयुक्त रचनाएँ