Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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भारत की पहचान बनाती है साडी

 

ग़ज़ल

भारत की पहचान बनाती है साडी।

नारी को धनवान बनाती है साडी।

राधा कृष्ण स्वरूप सुशोभित मन्दिर में,

प्रिय दर्शन भगवान बनाती है साडी।

कृष्ण करें सुरक्षा जब भी द्रौपदी की,

जीवन को कुर्बान बनाती है साडी।

अहल्या का जीवन भी अज़ब कहानी है,

चरित्र का निर्माण बनाती है साडी।

दैहिकता का रूप बिके जब भूमिगत,

मूल्यों को शैतान बनाती है साडी।

सुन्दरता जब चंचलता में ढल जाए,

मुर्दो में भी जान बनाती है साडी।

अभिवादन की मुद्रा में अभिनंदन है,

महफिल में मेहमान बनाती है साडी।

जन्नत की परिभाषा इस को कहते है,

कृपा को परवान बनाती है साडी।

भस्मासुर जब काम-क्रोध-हंकार करे,

शिव सुन्दर वरदान बनाती है साडी।

दक्ष प्रजापति यज्ञा से शिव को दूर करें,

अग्नि में अहसान बनाती है साडी।

अंगों की सुन्दर परिभाषा में ज्योति जले,

प्रकृति में दान बनाती है साडी।

बालम श्ष्टिाचार षोठशेपचार इस से,

नारीश्वर में शान बनाती है साडी।


बलविंदर बालम गुरदासपुर

ओंकार नंगर गुरदासपुर पंजाब

98156.25409

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