दुखड़ा हजूर आंखों का।
सारा कसूर आंखों का।
दुनिया तबाह कर देवे,
आंसू ज़रूर आंखों का।
उल्फत अगर हुई तो क्या,
कैसा फितूर आंखों का।
चढ़ कर कभी ना उतरे है,
ऐसा सरूर आंखों का।
बेनूर क्या बताएगा,
होता क्या नूर आंखों का।
जिस को कभी बहुत चाहा,
दीपक है दूर आंखों का।
इस के बगैर क्या जीना,
शीशा है चूर आंखों का।
इतना घमंड क्या बालम,
टूटे गुरूर आंखों का।
बलविंदर बालम ओंकार नगर गुरदासपुर पंजाब वटस आप,
+919815625409
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