Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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नए नियमों की होली है

 

गीत

नएं रंग हैं नएं ढंग हैं नएं नियमों की होली है।

नएं प्रयोग परिवर्तन में यह कस्मों की होली है।

नएं हैं भाव दृष्टिकोण का आगाज बढिय़ा है।

कि उड़ते बाज के पँखों में तो परवाज बढिय़ा है।

यह शिष्टाचार श्रद्धा प्यार एंव कदरों की होली है।

नएं रंग हैं नएं ढंग हैं नएं नियमों की होली है।

                नएं अंजाम के सिर पर नई कलगी सुशोभित है।

                उम्मीदों बीच अनुशासन की परिभाषा नवोदित है।

                जगाओ दीप रंगों के यह शुभ कर्मों की होली है।

                नएं रंग हैं नएं ढंग हैं नएं नियमों की होली है।

नएं सूरज की आमद से, ली आशायों ने अंगड़ाई।

सुबह की सृजना भीतर नई गूँजेगी शहनाई।

रचा इतिहास जिन्होंने उसी अर्थों की होली है।

नएं रंग हैं नएं ढंग हैं नएं नियमों की होली है।

                खुशी उमंग एंव सच्चाई स्वर्णिम आशा लाएंगे।

                कि सभ्याचार के भीतर एंव नए इतिहास आएंगे।

                विभिन्न जज्बों के सच्चे प्यार में धर्मों की होली है।

                नएं रंग हैं नएं ढंग हैं नएं नियमों की होली है।

इन्हीं से ही तो तब्दीली में एक जान आई है।

पूरे भारत की शक्ति में नई पहचान आई है।

कलम के सार्थिक हुए नएं अक्षरों की होली है।

नएं रंग हैं नएं ढंग हैं नएं नियमों की होली है।

                तपस्या विविध अर्थों में ही आत्मतोष देती है।

                प्यारी सोच ही ‘बालम’ तेजस्बी जोश देती है।

                गतिविधियों में बुद्धि आत्मा सम्बंधों की होली है।

                नएं रंग हैं नएं ढंग हैं नएं नियमों की होली है।

                                बलविंद्र बालम गुरदासपुर

                                ओंकार नगर गुरदासपुर (पंजाब)

                                मो. 9815625409

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