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पंजाब त्रासदी पर

 

पंजाब त्रासदी पर

कौन मिरे पंजाब के हाथों में दे गया है कासा

कौन मिरे पंजाब के हाथों में दे गया है कासा।

जीर्ण-शीर्ण तन के वस्त्र सड़कों पर है वासा।

चौंगे वाली मुफ्त सहूलत के लालच में आ कर।

ग़लती कर के भूल गया है तत्व स्वादी खा कर।

फंदे में फंसा हुआ पक्षी जैसे बहुत प्यासा।

कौन मिरे पंजाब के हाथों में दे गया है कासा।

सर-सर तेज़ हवाएं चलती जैसे आग बबूले।

कच्ची पक्की रोटी बनती बुझते जाते चूल्हे।

दुविधा में उपलब्धि-संतुश्टि देवै कौन दिलासा।

कौन मिरे पंजाब के हाथों में दे गया है कासा।

बेबस वाले खंजर से विद्या रक्त रंजित में ज़ख्मी।

जैसे चांद सितारों के भीतर बुझ गई है रश्मि।

बेरोज़गारी और नशीले तत्व में डूबी आसा।

कौन मिरे पंजाब के हाथों में दे गया है कासा।

हाकम की सरदारी आगे ज़ोर ना कोई चलता।

मखमल जैसा फूल गुलाबी शाखायों पर पलता।

पिसता जाए खुशियों वाला वैरों बीच पतासा।

कौन मिरे पंजाब के हाथों में दे गया है कासा।

बाती में है लौ बराबर फिर अंधेरे का डर है।

निष्ठुर, आशंका के भीतर रहता सारा घर है।

हर बारी ही दीप बुझाती आंधी देकर झासा।

कौन मिरे पंजाब के हाथों में दे गया है कासा।

नारी वाली समता भीतर ममता खोई-खोई।

मज़बूरी में जिस्म तज़ारत खून के आंसू रोई।

बाहों से सबके हाथ अलग दवै कौन दिलासा।

कौन मिरे पंजाब के हाथों में दे गया है कासा

हरियाली में शीतल नवाचार हवाएं आएंगी।

सुन्दर फूलों से झूल रही शाखाएं आएंगी।

सारा साल नहीं रहता है धरती पर चौमासा।

कौन सिरे पंजाब के हाथों में दे गया है कासा।

इसके हाथों में सूरज ने अभिवादन करना है।

‘बालम’ मूल्य निर्धारित मूल सर्मपण करना है।

परिश्रम एंव संघर्ष ने मिल कर किया एक खुलासा।

अब मेरे पंजाब के हाथों में ना होगा कासा।

                बलविन्दर ‘बालम’ गुरदासपुर

                ओंकार नगर, गुरदासपुर (पंजाब)

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