सोचने का डर तुम्हें ले डूबेगा।
अपना सारा घर तुम्हें ले डूबेगा।
क्यों सहारा छोड़ते हो तिनके का,
देखना पत्थर तुम्हें ले डूबेगा।
पाप करता है तू छुप कर किस मन से,
रूह का अन्दर तुम्हें ले डूबेगा।
हमने देखा है तजुर्बे का जीवन,
तू बुरा तो कर तुम्हें ले डूबेगा।
क्यों भरोसा कर रहा तू भंवर पर,
एक दिन अकसर तुम्हें ले डूबेगा।
दोस्ती खंजर से करना ठीक नहीं,
बस यही खंजर तुम्हें ले डूबेगा।
दौड़ ले, जब थक गया तो एक दिन,
वक्त का बंदर तुम्हें ले डूबेगा।
टिमटिमाता मैं हूं जुगनूं, ऐ सूरज,
शाम का मंजर तुम्हें ले डूबेगा।
कश्तियों से दोस्ती ’बालम‘ ना रख,
तूफां में सागर तुम्हें ले डूबेगा।
बलविंदर ’बालम‘ गुरदासपुर
ओंकार नगर, गुरदासपुर (पंजाब)
मोः 9815625409
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