गाथ छंद “वृक्ष-पीड़ा”
वृक्ष जीवन देते हैं।
नाहिं ये कुछ लेते हैं।
काट व्यर्थ इन्हें देते।
आह क्यों इनकी लेते।।
पेड़ को मत यूँ काटो।
भू न यूँ इन से पाटो।
पेड़ जीवन के दाता।
जोड़ लो इन से नाता।।
वृक्ष दुःख सदा बाँटे।
ये न हैं पथ के काँटे।
मानवों ठहरो थोड़ा।
क्यों इन्हें समझो रोड़ा।।
मूकता इनकी पीड़ा।
काटता तु उठा बीड़ा।
बुद्धि में जितने आगे।
स्वार्थ में उतने पागे।।
=============लक्षण छंद:-
सूत्र राच “रसोगागा”।’गाथ’ छंद मिले भागा।।
“रसोगागा” = रगण, सगण, गुरु गुरु 212 112 22 = 8 वर्ण*****************
Powered by Froala Editor
LEAVE A REPLY