Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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गाथ छंद “वृक्ष-पीड़ा”

 

गाथ छंद “वृक्ष-पीड़ा”
वृक्ष जीवन देते हैं।

नाहिं ये कुछ लेते हैं।

काट व्यर्थ इन्हें देते।

आह क्यों इनकी लेते।।
पेड़ को मत यूँ काटो।

भू न यूँ इन से पाटो।

पेड़ जीवन के दाता।

जोड़ लो इन से नाता।।
वृक्ष दुःख सदा बाँटे।

ये न हैं पथ के काँटे।

मानवों ठहरो थोड़ा।

क्यों इन्हें समझो रोड़ा।।
मूकता इनकी पीड़ा।

काटता तु उठा बीड़ा।

बुद्धि में जितने आगे।

स्वार्थ में उतने पागे।।

=============लक्षण छंद:-
सूत्र राच “रसोगागा”।’गाथ’ छंद मिले भागा।।
“रसोगागा” = रगण, सगण, गुरु गुरु  212  112  22 = 8 वर्ण*****************

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