Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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गजपति छंद “नव उड़ान”

 

गजपति छंद “नव उड़ान”
पर प्रसार करके।

नव उड़ान भर के।

विहग झूम तुम लो।

गगन चूम तुम लो।।
सजगता अमित हो।

हृदय शौर्य नित हो।

सुदृढ़ता अटल हो।

मुख प्रभा प्रबल हो।।
नभ असीम बिखरा।

हर प्रकार निखरा।

तुम जरा न रुकना।

अरु कभी न झुकना।।
नयन लक्ष्य पर हो।

न मन स्वल्प डर हो।

विजित विश्व कर ले।

गगन अंक भर ले।।

=============लक्षण छंद:-
“नभलगा” गण रखो।’गजपतिम्’ रस चखो।।
“नभलगा” नगण  भगण लघु गुरु( 111   211  1 2)8 वर्ण,4 चरण, दो-दो चरण समतुकांत****************

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