Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
Administrator

पुट छंद

 
पुट छंद "रामनवमी"

नवम तिथि सुहानी, चैत्र मासा।
अवधपति करेंगे, ताप नासा।।
सकल गुण निधाना, दुःख हारे।
चरण सर नवाएँ, आज सारे।।

मुदित मन अयोध्या, आज सारी।
दशरथ नृप में भी, मोद भारी।।
हरषित मन तीनों, माइयों का।
जनम दिवस चारों, भाइयों का।।

नवल नगर न्यारा, आज लागे।
इस प्रभु-पुर के तो, भाग्य जागे।।
घर घर ढ़प बाजे, ढोल गाजे।
गलियन रँगरोली, खूब साजे।।

प्रमुदित नर नारी, गीत गायें।
जहँ तहँ मिल धूमें, वे मचायें।।
हम सब मिल के ये, पर्व मानें।
रघुवर-गुण प्यारे, ही बखानें।।
=================
*पुट छंद* विधान:-

"ननमय" यति राखें, आठ चारा।
'पुट' मधुर रचाएं, छंद प्यारा।।

"ननमय" = नगण नगण मगण यगण
111  111  22,2  122 = 12वर्ण,यति 8,4
चार चरण दो दो समतुकांत।
*************

Powered by Froala Editor

LEAVE A REPLY
हर उत्सव के अवसर पर उपयुक्त रचनाएँ