Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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रहेगी और भी दास्ताँए जमाने की

 

Sandip Aavad

 


रहेगी और भी दास्ताँए जमाने की
एक किताब जरुर रहेगी इस दिवाने की

 

वजूद जगा कर यु अब फायदा ही क्या
जरुरत ही न थी यु मुझे सुलाने की

 

खत्म हो जा रहा है दिपक जिंदगी का
तयारी हो रही है फुल चढाने की

 

सितम सहते मुझे तो मौत ही आयी
जरूरत क्या रहम से पेश आने की

 

इब्तदा क्या करेगा अब तु 'बेवारस'
रह गया है अर्थी तेरी उठाने की

 

 

* बेवारस *

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