Sandip Aavad
रहेगी और भी दास्ताँए जमाने की
एक किताब जरुर रहेगी इस दिवाने की
वजूद जगा कर यु अब फायदा ही क्या
जरुरत ही न थी यु मुझे सुलाने की
खत्म हो जा रहा है दिपक जिंदगी का
तयारी हो रही है फुल चढाने की
सितम सहते मुझे तो मौत ही आयी
जरूरत क्या रहम से पेश आने की
इब्तदा क्या करेगा अब तु 'बेवारस'
रह गया है अर्थी तेरी उठाने की
* बेवारस *
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