Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
Administrator

यह दिन दिखाएगी मुहब्बत मालुम ही न था

 

Sandip Aavad

 


यह दिन दिखाएगी मुहब्बत मालुम ही न था
करेगा आईना बगावत मालुम ही न था

 

न आराम न चैन दिल को है अब प्यार में मुझे
बिघड जाएगी ये तबीयत मालुम ही न था

 

शिकायत भी तो बेवफा से कैसै अब करु मैं
करेगी सांसे भी वकालत मालुम ही न था

 

 

* बेवारस *

Powered by Froala Editor

LEAVE A REPLY
हर उत्सव के अवसर पर उपयुक्त रचनाएँ