Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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जागो युग सेनानी

 

        जागो युग सेनानी . 

युग का मुर्गा बांग दे रहा

जागो युग सेनानी .

नये वेश में करनी है

भारत की अगवानी .

दमकेगा अब गाँव-गाँव में

स्वच्छता भरी जवानी .

मिल-जुल कर हर कार्य करे

करे ना अब मनमानी .

सृजन की लहरे मारे हिलोरे

नव निर्माण है आनी.

लोक शिक्षक बनकर उभरे

नव यौवन मस्तानी .

कार्य अधूरे जो बाकी है

पूरे मन से करेंगे .

आत्म निर्भर हम बनेंगे

श्रम स्वीकार करेंगे .

गरीब बनकर जीना सीखे

पर कंगाली ना घेरे .

योग्यता बढती ही जाये

हम काबिल बनकर उभरे .

सपने हो या बने हकीकत

नव चितन तो सब में आये .

हम सबका कर्तव्य यही है

हाथ से हाथ मिलाये .

इसी सोच पर अब टिका है

पहले अपना करे सुधार.

युग आमंत्रण कर रहा है

सुने सभी इसकी पुकार.

भारती दास ✍️

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