हे जगत गुरु दो सुन्दर सीख
करूं याचना मांगू भीख
हे जगत गुरु दो सुन्दर सीख
मंदिर मस्जिद और गुरूद्वारे
गिरजाघर हो या चौबारे
धर्मगुरु बोते विष बीज
हे जगतगुरु दो सुन्दर सीख....
एहसास अनेकों है अनुभूति
गुरु शिष्य की पावन प्रीति
तिमिर हटाओ बनकर दीप
हे जगतगुरु दो सुन्दर सीख....
दूर करो दुर्बलता मन की
संकल्प निभाये मानवता की
विश्व चमन में निखरे प्रीत
हे जगतगुरु दो सुन्दर सीख....
दुश्चिन्तन दुर्भाव मिटाओ
सद्चिन्तन को उर में बसाओ
करुण निवेदन सुन लो ईश
हे जगतगुरु दो सुन्दर सीख.....
भारती दास
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