9 घंटे ·
भाई याद बहुत आती है
भाईजी की पांचवी पुण्यतिथि पर वेदनापूर्ण श्रद्धांजली
भाई याद बहुत आती है
क्षण-क्षण उर को तड़पाती है....
लम्हा-लम्हा पल-पल गुजरा
भूल न पाई तेरा चेहरा
अश्क की धारा बह जाती है
हर शय हर कण कह जाती है
भाई याद बहुत आती है....
घर के कोने कोने में तुम
दहलीज़ों द्वारों में थे तुम
गूंज हंसी की छल जाती है
फिर धड़कन ये थम जाती है
भाई याद बहुत आती है....
त्योहारें आती बहुतेरे
मिल जाते हैं भूले बिसरे
आश दिलों की बढ जाती है
व्याकुल नजरें थक जाती है
भाई याद बहुत आती है....
भारती दास ✍️
Powered by Froala Editor
LEAVE A REPLY