जब तुम्हारा इन लतीफों से
कभी भर जाय मन
याकि सस्ते चुटकुले करने लगें
पैदा घुटन।
लौट आना तुम,
मँजरने लग गयीं अमराइयाँ
गीत कोयल के हरेंगे
आर्त मानस की जलन॥
© बुद्धिनाथ मिश्र
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— with Buddhinath Mishra.
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जब तुम्हारा इन लतीफों से
कभी भर जाय मन
याकि सस्ते चुटकुले करने लगें
पैदा घुटन।
लौट आना तुम,
मँजरने लग गयीं अमराइयाँ
गीत कोयल के हरेंगे
आर्त मानस की जलन॥
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