कजरी
झूले निमिया की डार मेरा प्यार पिया
सोलहो सिंगार पिया ना।
मेहा झुकि झुकि आए,
मेरा कजरा बहाए
मांगे हमसे झुलनिया उधार पियासोलहो सिंगार पिया ना।
बरसे बुंदन के बान,
भीजे सगरो सिवान
बहे देहिया में नदिया की धार पिया
सोलहो सिंगार पिया ना।
बोले मोर चहु ओर,
बहे पुरवा झकोर
पापी चुनरी उड़ाए बार-बार पिया
सोलहो सिंगार पिया ना।
©डॉ.बुद्धिनाथ मिश्र
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